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अरण्यग्राम-वैदिक ग्राम परियोजना

● PROJECT
We conduct Research work in various fields of importance. We carry out detailed investigation to derive new facts about specific branch of knowledge. We carry out systematic sample data collection, organizing, evaluating, make deductions and establish findings. The various fields in which research work gets carried out are Agriculture, Herbal Plant and Ayurveda, Neturotherapy, Ancient Scriptures, Vedic Philosophy, Environment Protection, Human Behavior and Values, etc. Currently we are conducting research work to develop herbal plants and nurseries. We invite other people doing research work in this area to join us and provide information and findings gained so far. We can also undertake research work on specific request received from individuals, organizations, corporates or Govt. agencies in various areas and submit detailed report of the investigations and findings. We can also support and finance research work done by other individuals or agencies in areas of our interest.

● प्रकृति और ग्राम्य जीवन का समन्वय
वर्तमान समय में तीव्र औद्योगिकीकरण, शहरीकरण तथा प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन ने ग्रामीण भारत की पारिस्थितिकी, जलवायु संतुलन और जैव विविधता को गंभीर संकट में डाल दिया है। वहीं दूसरी ओर, ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के पारंपरिक साधन क्षीण हो रहे हैं, जिससे पलायन, बेरोज़गारी और सामाजिक असंतुलन जैसी चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं। हालांकि भारत सरकार निरंतर गांवों के विकास पर काम कर रही, लेकिन फिर भी गावों के समुचित विकास के लिए गैर सरकारी संस्थाओं को भी अपना सहयोग देना होगा। 18 राज्यों में किए गए सर्वेक्षण से पता चलता है कि 76 प्रतिशत किसान खेती के अलावा कोई और काम करना पसंद करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि बेमौसम बारिश, सूखा, बाढ़ और कीटों के हमले से उन्हें बार-बार नुकसान होता है। ऐसे ही अनेक कारण हैं जो हमें ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं।

● अरण्यग्राम परियोजना का उद्देश्य
वन और ग्राम का सहजीवी संबंध पुनर्स्थापित करना, जिससे ग्रामीण समुदायों को सतत जीवनशैली, हरित रोजगार और पारिस्थितिक पुनरुद्धार के अवसर प्राप्त हों। यह परियोजना "एक गाँव – एक हरित क्षेत्र" की परिकल्पना को मूर्त रूप देती है, जहाँ वृक्षारोपण, औषधीय बगान, जैविक खेती, जल-संरक्षण, पारंपरिक बीज संरक्षण, और पशुधन संवर्धन जैसे तत्व एकीकृत रूप से क्रियान्वित किए जाते रहें। हमारा उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में खेती को बढ़ावा देना और खेती के आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक तरीकों से लोगों में आत्मविश्वास पैदा करना है। यह केवल एक पर्यावरणीय अभियान नहीं, बल्कि एक जीवंत सामाजिक नवाचार है जो ग्रामीण भारत को हरित, आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है। अरण्यग्राम, ग्रामवासियों के सहयोग से विकसित किया जाने वाला ऐसा जैविक ग्राम होगा, जहाँ वृक्ष, जीव-जन्तु, पशु-पक्षी और मानव एक साथ फलते-फूलते रहें।

● स्वच्छ गांव-हरित गांव
हर नागरिक का सपना होता है कि वह सबसे सुन्दर और स्वच्छ देश में रहे। क्या यह वास्तव में संभव है? जी हाँ यह संभव है! अगर हर व्यक्ति प्रयास करे तो सच्चाई इससे दूर नहीं होगी। विकास की तेज दौड़ में हम यह भूल गए हैं कि प्रकृति से जो हम लेते हैं, उसे वापस देना हमारा कर्तव्य है। जिस प्रकार से हरियाली समाप्त हो रही है, उसी प्रकार से ही ग्रामीण लोगों का जीवन भी अस्त-व्यस्त होता जा रहा है। यह सभी नागरिकों के लिए चिंताजनक है और अब इस दिशा में कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है, नहीं तो हम खाली हाथ रह जाएंगे और हमारा भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। स्वच्छ गांव, हरित गांव एक सतत प्रक्रिया है, जिसे निरंतर चलाये रखना होगा।

ग्राम संसाधन विकास

विकास तभी सार्थक हो सकता है जब वह प्रकृति, पशु और मानव के बीच संतुलन को बनाए रखे। वृक्षारण्य परियोजना के अंतर्गत हम ग्राम स्तर पर संसाधनों के संरक्षण, जैव विविधता के संवर्धन और मानवीय गरिमा की रक्षा के लिए एकीकृत प्रयास कर रहे हैं।

● जल संरक्षण परियोजना
सबसे पहले, जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, क्योंकि बढ़ती जनसंख्या और संसाधनों की सीमितता के कारण हर ग्राम को जल आत्मनिर्भर बनाना आवश्यक हो गया है। हम समुदायों को जल संचयन, वर्षा जल संग्रहण और जल उपयोग दक्षता की तकनीकों के माध्यम से सतत जल प्रबंधन हेतु प्रशिक्षित करेंगे।

● वन्य जीव संरक्षण परियोजना
साथ ही, पशु संरक्षण भी हमारी प्राथमिकताओं में है। कांच की बोतलें, प्लास्टिक कचरा, और अनुचित भोजन जैसे तत्व न केवल वन्यजीवों बल्कि घरेलू पशुओं के लिए भी घातक सिद्ध हो रहे हैं। इसलिए, हमने ग्रामवासियों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है ताकि पशुओं के प्रति हिंसा और लापरवाही को रोका जा सके तथा उन्हें सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण मिल सके।

● जैविक खेती परियोजना
जैविक खेती के माध्यम से हम ग्रामीण किसानों को रासायनिक मुक्त, टिकाऊ और लाभकारी खेती के तरीकों से जोड़ते हैं। अनेक किसानों की उर्वर भूमि सिर्फ जानकारी और संसाधनों के अभाव में बेकार पड़ी रहती है। ऐसे में हम प्रशिक्षण, बीज बैंक, प्राकृतिक खाद, और बाजार से जोड़ने की व्यवस्था कर उन्हें आत्मनिर्भर बनने में सहायता करते हैं।

● अन्नाश्रय परियोजना
भारत जैसे विशाल देश में आज भी लाखों लोग शुद्ध, पोषणयुक्त और सात्विक आहार से वंचित हैं। शहरीकरण और बढ़ती महँगाई ने जहाँ एक ओर भोजन को व्यापार बना दिया है, वहीं दूसरी ओर निर्धन, असहाय और ग्रामीण समुदायों के लिए एक समय का पौष्टिक आहार भी एक चुनौती बन गया है। इसी सामाजिक पीड़ा को दूर करने के उद्देश्य से वृक्षारण्य के अंतर्गत "अन्नाश्रय परियोजना" का शुभारंभ किया गया है।
इस परियोजना के तहत हम ग्रामीण स्तर पर "आहार केंद्र" स्थापित कर रहे हैं, जहाँ स्थानीय महिलाओं द्वारा तैयार किया गया, घर जैसा स्वच्छ और पोषणयुक्त भोजन लागत मूल्य पर उपलब्ध कराया जाएगा। इन केंद्रों में असहाय, विकलांग, मानसिक रूप से पीड़ित, वृद्ध और अति निर्धन लोगों को निःशुल्क सात्विक भोजन उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे वे गरिमापूर्ण जीवन जी सकें और भूख से जुड़ी समस्याओं से मुक्त हो सकें।
"अन्नाश्रय" केवल भोजन वितरण नहीं, बल्कि सामाजिक करुणा और आर्थिक स्वावलंबन का भी प्रतीक है। यह न केवल भूखे को भोजन देता है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को रोजगार और आत्मसम्मान भी प्रदान करता है। हमारा लक्ष्य है कि हर ज़रूरतमंद को न केवल पोषण मिले, बल्कि कपड़े, चिकित्सकीय सहायता और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी सम्मानपूर्वक प्रदान की जा सकें। यह परियोजना उस भारत का निर्माण करती है जहाँ "भूखा कोई न सोए", और भोजन सिर्फ आवश्यकता नहीं, बल्कि अधिकार बन जाए।