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गुरुकुल एथिक्स

नैतिक भारत समृद्ध भारत

भारत की गुरुकुल परंपरा एक ऐसी शिक्षा प्रणाली रही है जो न केवल ज्ञान देती थी, बल्कि चरित्र निर्माण और समाज सेवा की भावना भी उत्पन्न करती थी। वर्तमान समय में नैतिक मूल्य और तकनीकी दक्षता दोनों की आवश्यकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए 'गुरुकुल एथिक्स' परियोजना प्रस्तावित की गई है। आज के समय में भारत में तकनीकी उन्नति तो हो रही है, लेकिन नैतिक मूल्यों एवं मानवीय संवेदनाओं में गिरावट भी उतनी ही तेज़ी से हो रही है। ऐसे में भारत के पुनर्निर्माण के लिए आवश्यक है कि नई पीढ़ी वैदिक संस्कारों से ओत-प्रोत हो, और साथ ही आधुनिक विज्ञान व तकनीक में भी दक्ष हो। मोरल वैल्यू इंडिया फाउंडेशन द्वारा “गुरुकुल एथिक्स प्रोजेक्ट” उसी प्रयास की दिशा में एक विशेष योजना है, जिसमें शिक्षा, संस्कृति और आजीविका के तीनों आयामों को संतुलित किया गया है।

अरण्यग्राम गुरुकुल परियोजना

अरण्यग्राम गुरुकुल परियोजना एक समग्र और दूरदर्शी प्रयास है जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, नैतिकता, कौशल, स्वास्थ्य, आत्मनिर्भरता और प्रकृति संरक्षण के मूल तत्वों को पुनर्स्थापित करना है। यह परियोजना गुरुकुल परंपरा की आत्मा और वृक्षारण्य की हरियाली को एक साथ समाहित करती है। हमारा कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम ग्रामीण युवाओं और वंचित समुदायों को तकनीकी और व्यावसायिक दक्षताओं से सशक्त बनाता है, जिनमें IT, डिजिटल साक्षरता, इलेक्ट्रॉनिक्स, बढ़ईगीरी, मिट्टी के बर्तन, खेती, यांत्रिक मरम्मत और हस्तशिल्प जैसी विधाएँ शामिल हैं। यह प्रशिक्षण न केवल रोजगार का माध्यम है, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ठोस कदम भी है। गुरुकुल एथिक्स के अंतर्गत हम शिक्षा के साथ नैतिकता और मानसिक स्वास्थ्य पर भी ज़ोर देते हैं। नशा मुक्त गाँव अभियान युवाओं को व्यसन से बचाने का सामाजिक संकल्प है, इसलिए हम खेल-कूद, योग और ध्यान सत्र आदि से उन्हें संतुलित जीवन शैली अपनाने हेतु प्रेरित करेंगे। प्रेरणादायक नैतिक फिल्मों और ग्रामीण अध्ययन केंद्र के माध्यम से हम मल्टीमीडिया और पुस्तकों के द्वारा गहरी सीख को जन-जन तक पहुंचाएंगे। यह पहल न केवल मनोरंजन, बल्कि मानसिक और नैतिक विकास की भी कुंजी सिद्ध होगी। हमारा हर्बल वृक्षारोपण कार्यक्रम किसानों को जैविक खेती, औषधीय पौधों की वैज्ञानिक खेती और बाज़ार से जुड़ाव में मार्गदर्शन देगा, जिससे उन्हें बेहतर आमदनी और पर्यावरण संतुलन दोनों मिलते रहेगें। हमारी राष्ट्र प्रथम की नीति "राष्ट्र के लिए समर्पण" एक रचनात्मक गतिविधि है जो ग्रामीण स्कूली बच्चों में नेतृत्व, सेवा भाव, सत्यनिष्ठा और पर्यावरण चेतना जैसे मूल्यों को विकसित करती रहेगी। पोस्टर प्रतियोगिता, निबंध लेखन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से हम बचपन से ही बच्चों में देशभक्ति और चरित्र निर्माण की नींव रखते हैं। व्यक्तित्व विकास एवं सॉफ्ट स्किल प्रशिक्षण जैसे सत्र हर युवा को उनके दैनिक जीवन में आत्मविश्वास और संवाद कुशलता देने का कार्य करते हैं। वहीं, स्थानीय कला एवं शिल्प को बढ़ावा देना न केवल सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं और युवाओं के लिए आजीविका का मजबूत माध्यम भी है।
"अरण्यग्राम गुरुकुल" एक बहुआयामी जीवन मूल्यों पर आधारित परियोजना है, जो भारत के ग्रामीण और वंचित समुदायों में नैतिक शिक्षा, व्यावहारिक कौशल, मानसिक शुद्धता, यौगिक जीवनशैली और राष्ट्रभक्ति के बीज बोने का कार्य करती है। यह वैदिक परंपरा से प्रेरित है, जहाँ शिक्षा केवल जानकारी नहीं, बल्कि चरित्र, संस्कृति और कर्म से जुड़ी होती है। इस परियोजना का उद्देश्य लोगों को केवल आत्मनिर्भर बनाना नहीं, बल्कि सजग, संवेदनशील और संस्कारित नागरिक के रूप में तैयार करना है। इस परियोजना आधुनिक तकनीक और प्राचीन मूल्यों का संगम है—जहाँ शिक्षा, रोजगार, संस्कृति और प्रकृति के साथ समन्वय स्थापित किया जायेगा।

परियोजना क्रियान्वयन:

● कौशल आधारित रोजगार सृजन:  ग्रामीण युवाओं, महिलाओं और बेरोजगारों को आईटी स्तर का, हस्तशिल्प, इलेक्ट्रिकल, कृषि, बढ़ईगिरी, मिट्टी शिल्प आदि में व्यावसायिक प्रशिक्षण देना।

● योग, ध्यान व अध्यात्म का संवर्धन:  वैदिक परंपरा के अनुरूप दैनिक जीवन में योग व ध्यान को सम्मिलित कर मानसिक व भावनात्मक संतुलन बनाये रखने के प्रशिक्षण देना।

● नैतिक व वैदिक शिक्षा का पुनर्प्रवर्तन:  जीवन मूल्यों, संस्कृति, देशभक्ति और नेतृत्व की भावना का विकास करना, जिससे युवा केवल नौकरी न खोजें, बल्कि अपने कर्तव्यों को भी पहचानें।

● प्रेरणादायक मल्टीमीडिया शिक्षण:  बच्चों व युवाओं को नैतिक, ऐतिहासिक व प्रेरक फिल्मों और दृश्य-श्रव्य माध्यमों के द्वारा प्रभावी शिक्षा देना।

● परंपरागत खेल व कला-संरक्षण:  पारंपरिक भारतीय खेलों, नाटकों, चित्रकला, शिल्पकला के माध्यम से रचनात्मकता, स्वास्थ्य और संस्कृति को बढ़ावा देना।

● नशा-मुक्त ग्राम निर्माण:  विशेष जागरूकता अभियानों के माध्यम से युवाओं और बच्चों को व्यसन से बचाना और मानसिक स्वास्थ्य को वैदिक विज्ञान के अनुसार संतुलित करना।

● ग्रामीण अध्ययन केंद्रों की स्थापना:  जहाँ पाठ्य पुस्तकें, ऑडियो-विडिओ विजुअल कंटेंट और वाद-विवाद प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से जीवनोपयोगी ज्ञान सभी के लिए सुलभ होगा।

● दैनिक यज्ञ और पञ्चमहायज्ञ प्रशिक्षण:  भारतीय वैदिक संस्कृति में यज्ञ केवल अग्निहोत्र कर्म नहीं, बल्कि जीवन को शुद्ध, समर्पित बनाने की एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है। अरण्यग्राम गुरुकुल परियोजना के अंतर्गत दैनिक यज्ञ एवं पञ्चमहायज्ञ प्रशिक्षण का विशेष आयोजन किया जाता है, जिससे विद्यार्थियों, ग्रामीणों और स्वयंसेवकों को वेदों में निहित जीवन मूल्यों से जोड़ा जायेगा।

यह परियोजना "शिक्षा के माध्यम से समाज और प्रकृति के पुनर्निर्माण" का अभियान है, जो ग्राम्य भारत को न केवल आत्मनिर्भर बनाता है, बल्कि उसे संस्कारशील, जागरूक और समर्पित नागरिकों से समृद्ध भी करता है। अरण्यग्राम गुरुकुल — एक ऐसा केंद्र होगा जहाँ से नए भारत की रचना आरंभ होती है।

योजना के मुख्य बिंदु:

ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे बेरोजगार छात्रों को ही उनकी स्वेच्छा और योग्यतानुसार इस परियोजना में चयनित किया जायेगा:
● चयनित विद्यार्थियों को वैदिक विद्वान: वैदिक पुरोहित, वैदिक प्रवक्ता, धर्म रक्षक, संस्कृति रक्षक आदि के रूप में प्रशिक्षित किया जायेगा।
● चयनित विद्यार्थियों को उनकी रूचि ओर सुविधानुसार उन्हें तकनीकी ज्ञान प्रदान किया जायेगा। जैसे: कारपेंटर, प्लंबर, ड्राइवर, इलेक्ट्रिशियन, कृषि विशेषज्ञ आदि ।
संस्कृति एवं तकनिकी का समन्वय:
सभी चयनित विद्यार्थी भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा के संवाहक होंगे। उनका प्रशिक्षण शास्त्र और शिल्प दोनों में होगा। यह योजना गाँवों में निवासरत बेरोजगार युवाओं के लिए विशेष रूप से तैयार की गई है, जो पूर्णतः आवासीय नहीं होगी। चयनित युवाओं को संस्था द्वारा एक वर्षीय प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, जिससे वे आत्मनिर्भर और समाजोपयोगी बन सकें। प्रशिक्षण हेतु न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष निर्धारित की गई है। प्रशिक्षण पूर्ण करने के उपरांत ये युवक समाज की मुख्यधारा से वंचित अन्य लोगों को भी जोड़ने का कार्य करेंगे, जिससे एक सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन की दिशा में प्रभावी पहल संभव हो सकेगी।
ग्राम्य युवाओं के लिए विशेष प्रशिक्षण योजना
यह विशेष प्रशिक्षण योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बेरोजगार युवाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से तैयार की गई है। कार्यक्रम आवासीय नहीं है, जिससे युवा अपने गाँव में रहते हुए ही इसका लाभ उठा सकें। चयनित प्रतिभागियों को संगठन द्वारा एक वर्षीय प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, ताकि वे समाज के लिए उपयोगी भूमिका निभा सकें और अपने जीवन में सार्थक दिशा पा सकें। प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष निर्धारित की गई है। प्रशिक्षण पूर्ण करने के पश्चात ये युवक समाज की मुख्यधारा से वंचित अन्य लोगों को भी जोड़ने का कार्य करेंगे, जिससे सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन को बल मिलेगा।
प्रशिक्षण के दो प्रमुख क्षेत्र:
● वेदपाठी कर्मकांडी छात्र – जो वेद, संस्कार, यज्ञ आदि पारंपरिक ज्ञान में प्रशिक्षित होंगे।
● तकनीकी छात्र – जिन्हें आधुनिक तकनीकी कौशल जैसे कंप्यूटर, डिजिटलीकरण, और अन्य उपयोगी कार्यों का प्रशिक्षण मिलेगा।
यह योजना भारत की सांस्कृतिक जड़ों और आधुनिक आवश्यकता के मध्य सेतु का कार्य करेगी।
“गुरुकुल एथिक्स प्रोजेक्ट” केवल एक शैक्षिक योजना नहीं, बल्कि भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक उत्थान का मिशन है। यह परियोजना आत्मनिर्भर भारत, संस्कारित भारत, और तकनीकी रूप से समृद्ध भारत की नींव रखेगी।